मेरा श्याम अपने दर पे

मेरा श्याम अपने दर पे
आखो से मई पिलाए
मोहन जिसे पिलाए
उसे होश कैसे आये

मीरा ने पीली मस्ती
अपनी मिटा दी हसती
दीवानी हो गयी वो
ओर बावरी कहायी
मेरा श्याम अपने दर पै
आखो से मई पिलाए

पहले पिलायी नांदे को
सुद्ध बुध भुला दी उसने
फिर आप नन्दा बनकर
मोहन चरन दबाए
मेरा श्याम अपने दर पे
आखो से मई पिलाए

हे दीन बंधू तेरी
ये दया नहीं तो क्या है
ठुकराए जिसको दुनिया
उसे तू गले लगाये
मेरा श्याम अपने दर पे
आखो से मई पिलाए

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