हे बिहारी मैं तुम्हारी मुझको अपना लीजिये,
श्री चरण की शरण आई देर न अब कीजिये,
हे बिहारी मैं तुम्हारी मुझको अपना लीजिये
इतने जन्मो से ना जाने दुनिया को चाहती रही,
लोभ माया की धरा में रात दिन बहती रही,
बेहते बेहते थक गई हु पार अब कीजिये,
हे बिहारी मैं तुम्हारी मुझको अपना लीजिये,
तेरा गुण गाऊ सदा मैं तेरा जप चिंतन करू,
अपना रक्षक शरण दाता एक बस तुमको भरू,
ऐसा मेरा मन बना दे दाता ये वर दीजिये,
हे बिहारी मैं तुम्हारी मुझको अपना लीजिये
तुमको जो भावे बही मैं सोचु बोली और करू,
तेरी बन के तेरी इशाओ के गांचे में ढलु,
करुण दास का करुण कंदन उनके करुना कीजिये,
हे बिहारी मैं तुम्हारी मुझको अपना लीजिये