मोहन मेरा मुरली वाला
मैंने हरी से प्यार किया...-2
प्यार किया प्यार किया....
हरि कृपा ने संत मिलाया,
चाह लगी सिमरन की,
संत कृपा से भक्ति जागी,
प्यास लगी दर्शन की,
मोहन मेरा....
मन के अंदर गोविंद बैठा,
राह नयी दिखलाए,
क्या करना क्या ना करना है,
सब कुछ मुझे समझाएं,
मोहन मेरा....
मालिक ऐसा मुझे मिला है,
क्यूं फिकर हो गुजर की,
कितना रखता ख्याल हमारा,
रहमत उसकी शुकर भी,
मोहन मेरा....