मेरे मोहन तेरा मुस्कुराना भूल जाने के काबिल नहीं है

मेरे मोहन तेरा मुस्कुराना, भूल जाने के काबिल नहीं है
चोट खायी है जो मैंने दिल में, वो दिखने के काबिल नहीं है

जबसे देखा है जलवा तुम्हारा, कोई आँखों को जचता नहीं है
यूं तो देखे है बहुत नूर वाले, सारे आलम में तुमसा नहीं है
मेरे मोहन तेरा मुस्कुराना, भूल जाने के काबिल नहीं है

तेरी सूरत पे क़ुर्बान जाऊ, तेरी आँखे है या मय के प्याले
जिनको नज़रो से तुमने पिलाई, होश आने के काबिल नहीं है
मेरे मोहन तेरा मुस्कुराना, भूल जाने के काबिल नहीं है

मैंने पूछा की अब कब मिलोगे, पहले मुस्काये फिर हंस के बोले
सबके दिल में समाये हुए है, आने जाने के काबिल नहीं है
मेरे मोहन तेरा मुस्कुराना, भूल जाने के काबिल नहीं है

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