राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट,
अंत काल पछतायेगा जब प्राण जायेगे छूट,
राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट॥
ऐसी भी क्या मज़बूरी, राम से ये कैसी दूरी,
भवसागर तारणहारी, सिया भी उनके बिन अधूरी,
वसे राम ही साथ निभाएंगे और सब जायेगे छूट,
राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट॥
हनुमंता से पूछो, जिनने राम गुण गाये,
उम्र भर के लिए उन्होंने, उनके आगे सीस झुकाये,
आप अपनाले रामको, छोड़ दे माया का झूठ,
राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट॥