ले रघुवर का नाम नर तर जाएगा,
भजन बिना भव सिंधु में गोता खाएगा॥
संसार है जलती ज्वाला इस ज्वाला से बच कर रहना,
जल जाए कहीं ना दामन पग संभल संभल के रखना,
नहीं तो पछतायेगा भजन बिना भव सिंधु में गोता खाएगा,
ले रघुवर का नाम....
सूत नारी मात-पिता भाई सब जीते जी के सहाई,
स्वार्थ के हैं सब साथी कोई संग तेरे ना जाई,
काल जब आएगा भजन बिना भव सिंधु में गोता खाएगा,
ले रघुवर का नाम....
लख चौरासी भुगत के बंदे तूने मानव तन यह पाया,
माया में फस कर तूने फिर प्रभु का नाम बुलाया,
तभी तो पछतायेगा भजन बिना भर सिंधु में गोता खाएगा,
ले रघुवर का नाम....