मत छेड़ श्याम गलियां में लोगो के खटक जाएगी

मत छेड़ श्याम गलियां में लोगो के खटक जाएगी
चुप चाप दही खिलवा दे ना तो मटकी चटक जायेगी,
मत छेड़ श्याम गलियां में लोगो के खटक जाएगी

गावल बाल  सब संग है मेरे मटकी रख जा कह दू तोहे,
घर तेरे दही दूध पड़ा है फिर क्यों मेरी राह खड़ा है,
जान दे पाइयाँ पडू श्याम घर जाने दे पहिया पडू,
मत छेड़ श्याम गलियां में लोगो के खटक जाएगी

सुबह से निकली शाम पड़ी है कल ही मुझको डांट पड़ी है,
क्यों तू इतनी बात बनाये खुद ही अपना वक़्त गवाए,
काहे को देर करे सखी ऋ फिर काहे को देर करे,
मेरी सास खड़े अंगना में मुझे कटोल कर जाएगी,
चुप चाप दही खिलवा दे ना तो मटकी चटक जायेगी,
मत छेड़ श्याम गलियां में लोगो के खटक जाएगी

केवल ये है श्याम की नगरी यहाँ बचे न कोई गगरी,
श्याम तेरी नज़रे है पहनी इन में उजली ज्योति जेनी,
छोड़ दे रस्ता मेरा श्याम अब छोड़ दे रस्ता मेरा,
इक बार जो पकडू काल्हियाँ तेरी बहियाँ झटक जायेगी,
इक मटकी मे तेरी मेरी ये  लड़ाई निपट जायेगी,
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