भजन के शब्द :
खा गया नन्दलाल माखन चोरी से ।
कर लिया तकरार बिरज की छोरी से ।।
वो बोले तोतली बोली, ले संग ग्वालों की टोली ।
पकड़े जाने पर छलिया, कर लेता सूरत भोली ।।
और वरजोरी से, कर लिया....
माखन को यदि ना देतीं, पनघट पे बहुत सताता ।
जब यशुदा से बतलातीं, तब आँसू खूब बहाता ॥
प्रेम की डोरी से, कर लिया....
बछड़ी-बछड़ों को छोड़े, मटकी-मटकों को तोड़े ।
छछिया भर छाँछ पे नाचे, तो कभी वो बाँह मरोड़े ॥
कान्त सखि गोरी से, कर लिया....