वो जो नंदी की करता सवारी,
मेरा भोला सा, भोला भंडारी,
शीश पर जिसने गंगा उतारी,
वो जो नंदी की करता सवारी,
मेरा भोला सा, भोला भंडारी……….
जिसका कैलाश पर्वत है डेरा,
वो है हर हर महादेव मेरा,
है गले जिसके सर्पों की माला,
जिसके चरणों में है दुनिया सारी,
मेरा भोला सा, भोला भंडारी,
शीश पर जिसने गंगा उतारी,
वो जो नंदी की करता सवारी,
मेरा भोला सा, भोला भंडारी………
सारी दुनियाँ है जिसकी दीवानी,
उसकी महिमा ना जाए बखानी,
कोई शम्भू कहे, कोई शंकर,
कोई कहता उसे औघड़ दानी,
जिसके चरणों के हम सब भिखारी,
मेरा भोला सा, भोला भंडारी,
शीश पर जिसने गंगा उतारी,
वो जो नंदी की करता सवारी,
मेरा भोला सा, भोला भंडारी………..
देवता भी हैं जिसके निवेदक,
भूत चांडाल औघड़ है सेवक,
दानव और दैत्य भी कांपते हैं,
नाम जिसका सभी जापते हैं,
है दशानन भी जैसे पुजारी,
मेरा भोला सा, भोला भंडारी,
शीश पर जिसने गंगा उतारी,
वो जो नंदी की करता सवारी,
मेरा भोला सा, भोला भंडारी……..