सतरंगी फागण का मेला फिर आया एक बार

रंग रंगीला मेला, आया मेरे श्याम का,
जिसको देखो, उस पे चढ़ा है,
रंग श्याम के नाम का,
धूम मची खाटू नगरी,
गूंजे जय जय कार,
सतरंगी फागण का मेला,
फिर आया एक बार,
सतरंगी फागण का मेला,
फिर आया एक बार…….

हाँ जी एक बरस में रंग रंगीला,
जब ये मेला आए,
हर एक प्रेमी का दिल,
खाटू जाने को ललचाए,
श्याम प्रेमियों का होता ये,
सबसे बड़ा त्योंहार,
सतरंगी फागण का मेला,
फिर आया एक बार…………

रींगस से कोई पेट पलणिया,
कोई पैदल जाए,
रंग बिरंगी श्याम धजा,
लहर लहर लहराए,
हनुमंत संग भगतों के चलता,
लीले का असवार,
सतरंगी फागण का मेला,
फिर आया एक बार………….

श्याम प्रेमियों से भर जाती,
हैं खाटू की गलियाँ,
ऐसा लगता है खाटू में आ गई,
पूरी दुनियाँ,
खाटू वाले श्याम धणी का,
करने को दीदार,
सतरंगी फागण का मेला,
फिर आया एक बार……….

अजब खुमारी चढ़ जाती,
कुंदन खाटू में आकर,
सभी नाचते चंग बजा,
बाबा को रंग लगाकर,
संजय के गाएं भजनों से,
गूँज रहा दरबार,
सतरंगी फागण का मेला,
फिर आया एक बार………
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