श्याम सागर से भर दी गागर

मैं खाटू में जाऊंगा,
मैं खाटू में जाऊंगा,
लेकर के एक निशान,
सब विपदा संकट कट जा,
जब शिखर चढ़े निशान॥

तूने इतना दिया मेरे दाता,
कोई कमी नहीं छोड़ी,
सागर से भर दी गागर,
उम्मीद नहीं तोड़ी,
निर्मल को देके सहारा,
निर्मल को देके सहारा,
तूने काम किया अपार,
संकट सब कर जा,
जब शेखर चढ़े निशान.....

तेरे दर दर आकर जो भी दुखड़ा सुनाता है,
दुखड़ा सुनाता है,
सब चिंता और विपदा को वो भूल जाता है,
मोहन ने ली जो परीक्षा,
दे दिया था शीश दान,
सब विपदा संकट कट जा,
जब शिखर चढ़े निशान,
मैं खाटू में जाऊंगा....

धन्ना जाट के खेत में हल चलाया था,
कर्मा के लगाए भोग में खिचड़ खाया था,
खिचड़ खाया था,
आज ‘संजय’ तुझे जिमाव,
आज संजय तुझे जिमाव,
तू रखियो उसका मान,
सब विपदा संकट कट जा,
जब शिखर चढ़े निशान,
मैं खाटू में जाऊंगा....
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