चाँद चढ़्यो गिंगनार,श्यामा कुछ तो दया बिचार
दास थारो डीके छ जी डीके छ...
सरे साँझ से द्वारे ठाडो बालक ने पुचकारोजी,
रतनारी आंख्या ने खोलो ,सेवक और निहारोजी,
सोया होगी बार,श्यामा अब तो पलक उघाड़,
रात यु बीते छ जी बीते छ
चाँद चढ़्यो गिगनार....
भगत घनेरा भेला होसी ना दिलडे में चैन जी,
यही सोचकर आ गयो में सुनी पासी रेन जी,
करवट लयो करतार ,अरे ओ लीले के असवार,
कारज म्हारा अटके छ जी अटके छ
चाँद चढ़्यो गिगनार....
बेगो आज्या श्याम बिहारी,धीरज ना अब और जी,
था बिन महारा परम सनेही ,ना कोई दूजी ठोर जी,
हाथ बढ़ाओ आज ,बच्चाओ निज सेवक की लाज
आश एक थारी छ जी थारी छ.
चाँद चढ़्यो गिगनार....
काशीराम चरण को सेवक गुण थारा ही गावेजी,
मांगेलाल कहे गुरु कृपा से भवसागर तर जयावे जी
बेगा आओ नाथ ,पकड़ल्यो निज सेवक को हाथ
चरण रज थारी छ जी थारी छ
चाँद चढ़्यो गिगनार....
भजन रचियता: मांगेलाल महमिया झुंझुनू