हरि बामण का रूप बनाये बलिराजा को छलने आये

हरि बामण का रूप बनाये बलिराजा को छलने आये

माथे तिलक सोहे सिर पे छत्र सोहे,
हाथो में कमंडल वो लाये बलिराजा को छलने आये,

तन पे जनेऊ धरे सिर पे चोटी सोहे,
चरणों में ख्डावे सुहाहे बलिराजा को छलने आये,

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