मैं राधे राधे गाके रहती हूँ मैं मस्ती में,
सब छोड़ के आई हूँ राधे तेरी बस्ती में....
जब से तूने संभाला बड़ी मौज हो रही है,
करुणा की तेरी बारिश हर रोज़ हो रही है,
आने लगी है रौनक राधे तेरी मस्ती में,
सब छोड़ के आई हूँ राधे तेरी बस्ती में....
जैसे दया की प्यारी ये लेहेर जो बढ़ रही है,
तेरे नाम की खुमारी मुझ पर भी चढ़ रही है,
मैं नाच नाच गाऊं तेरे प्रेम की मस्ती में,
सब छोड़ के आई हूँ राधे तेरी बस्ती में....
दुनिया से क्या है लेना ना कोई अब गिला है,
कहती यशोदा दासी तेरा साथ जब मिला है,
मेरा तो जीना मरना सब हो तेरी बस्ती में,
सब छोड़ के आई हूँ राधे तेरी बस्ती में....