घर आजा श्यामा वे

घर आजा श्यामा वे सौं है तेरे प्यार दी,
तू की जाने किवे गुजारा खडीया इन्जार दी,
घर आजा श्यामा वे सौं है तेरे प्यार दी,

इक दिन राती सपने दे विच आ गये श्याम मुरारी,
मोर मुकुट माथे तिलक विराजे कंडला दी छवि नयारी,
आख जद मै खोली श्यामा रह गयी रूप निहार दी,
घर आजा.....

डरदी मारी आँख ना खोला सपना टूट ना जाये ,
मुश्किल दे नाल श्याम है आया किदरे नाश ना जाये,
आख जद मैं खोली श्यामा रह गयी वाजा मारदी ,
घर आजा....

तेरे खातिर श्यामा वे मैं घर घर अलख जगाई,
तेरे खातिर श्यामा वे मैं गल विच कबली पाई ,
जदो तेरा नाम मैं लावा दुनिया ताने मारदी,
घर आजा...

जे श्यामा तू रास रचावे मैं वी सखिया नचाव्दी,
जे श्यामा तू गऊआ चरावे मैं वी बछड़े चरवादी,
जे श्यामा तू घर मेरे आवे मैं वी शगन मनावादी,
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