ओढ़ चुनरिया लाल मै नाचूं तेरे अंगना में,
मैं नाचूं तेरे अंगना में, मैं नाचूं तेरे अंगना में,
ओढ़ चुनरिया लाल मै नाचूं तेरे अंगना में....
पांव में अपने बांध के घुंघरू, आठों पहर तेरे नाम को सिमरु,
और बजाओ खड़ताल मैं नाचूं तेरे अंगना में,
ओढ़ चुनरिया लाल मै नाचूं तेरे अंगना में....
बिन तेरे मुंह में कुछ नहीं भावे व्याकुल मनवा चैन ना पाव
मेरे भी संकट काट मैं नाचूं तेरे अंगना में
ओढ़ चुनरिया लाल मै नाचूं तेरे अंगना में....
चरणों में तेरे शीश झुकाऊं जी भर के मैं दर्शन पाऊ
कर दो बेड़ा पार मैं नाचूं तेरे अंगना में,
ओढ़ चुनरिया लाल मै नाचूं तेरे अंगना में....
ज्योति कलश और दीपक जागे प्रेम सुधा बरसा दो आके,
आज हो जाओ मां दयाल मैं नाचूं तेरे अंगना में,
ओढ़ चुनरिया लाल मै नाचूं तेरे अंगना में....