जगत में किसने सुख पायो,
जो आयो सो पछतायो, जगत में किसने सुख पायो.....
पांच पतिन की द्रुपद नारी,
गर्व से फूली नहीं समाती,
जुए में दांव लगायो जगत में किसने सुख पयो....
राजा हरिश्चंद्र तारा रानी,
ब्राह्मण के घर भरती पानी,
समय ने रंग दिखाया जगत में किसने सुख पाया रे.....
बीस भुजा जागो नाम दशानन,
बस में कर लिए शिव चतुरानन,
फिर भी शीश कटायो जगत में किसने सुख पायो रे.....
जनकपुरी की राजदुलारी,
अवधपुरी की बन गई रानी,
बन में समय बितायो जगत में किसने सुख पायो रे.....
सुखी वही है जगत में भैया,
दूजा नहीं है कोई खिवैया,
जिसने हरि गुण गायो जगत में किसने सुख पायो रे.....