हे मातृभूमि! हमको वर दो, पढ-लिखकर हम गुनना सीखें...
बोले न बुरा, देखे न बुरा, कुछ भी बुरा न सुनना सीखे,
हम खेल-खेल पढ़ते जाएँ, पढ़-लिखकर नित बढ़ते जाएँ,
हम रुके नही, हम झुके नही, गिरी शिखिरो पर चढ़ते जाएँ,
विघ्नों से कभी न घबराएँ, सतपंथ को कभी न छोड़े हम,
बाधाओं पर बाधा आएँ, बाधाओं का रुख मोड़े हम,
क्यों बने फ़क़ीर लकीरो के, नित नए सपने बुनना सीखें,
हे मातृभूमि! हम को वर दो, पढ़-लिखकर हम गुनना सीखें.....
पाकर आशीष तुम्हारा मां, आलोक जगत में हम भर दे,
हम वीरानों को चमन करे, जो गूंगे हैं उनको स्वर दे,
अपनापन सब में देखे हम, मन से द्वेष मिटाओ हम,
पर सुख को अपना सुख माने, पर दुःख में हाथ बटाएं हम,
जग की इस सुंदर बगीया से हम, सार सुमन चुनना सीखें,
हे मातृभूमि! हमको वर दो, पढ़-लिखकर हम गुनना सीखे.....