ओ देश मेरे
तेरी शान पे सदके
कोई धन है क्या
तेरी धूल से बढ़ के
तेरी धूप से रौशन
तेरी हवा पे जिंदा
तू बाग है मेरा
मैं तेरा परिंदा
है अरज़ ये दीवाने की
जहाँ भोर सुहानी देखी
एक रोज़ वही
मेरी शाम हो
कभी याद करे जो जमाना
माटी पे मर मिट जाना
ज़िकर में शामिल
मेरा नाम हो
ओह देश मेरे
तेरी शान पे सदके
कोई धन है क्या
तेरी धूल से बढ़ के
तेरी धूप से रौशन
तेरी हवा पे जिंदा
तू बाग है मेरा
मैं तेरा परिंदा
आंचल तेरा रहे मां
रंग बिरंगा ओह
ऊंचा आसमान से
हो तेरा तिरंगा
जीने की इज़ाजत देदे
या हुकुम शहादत देदे
मंजूर हममें जो भी तू चुने
रेशम का हो मधुशाला
या कफन सिपाही वाला
ओढेंगे हम जो भी तू बूने
ओह देश मेरे
तेरी शान पे सदके
कोई धन है क्या
तेरी धूल से बढ़ के
तेरी धूप से रौशन
तेरी हवा पे जिंदा
तू बाग है मेरा
मैं तेरा परिंदा.....