सपनों में खो जाऊं मेरे श्याम तुम्हे देखूं,
मेरे श्याम तुम्हे देखूं घनश्याम तुम्हे देखूं,
सपनों में खो जाऊं.....
सावन का महीना हो पचरंगी झूला हो,
झूला पर झूलाते हुए मेरे श्याम तुम्हे देखूं,
सपनों में खो जाऊं.....
जमुना का किनारा हो गोपियों का नहाना हो,
चीरों को चुराते हुए मेरे श्याम तुम्हे देखूं,
सपनों में खो जाऊं.....
ऊंचा सा छीका हो छींके पर मटकी हो,
माखन को चुराते हुए मेरे श्याम तुम्हे देखूं,
सपनों में खो जाऊं.....
फागुन का महीना हो होली का मेला हो,
रंगों को उड़ाते हुए मेरे श्याम तुम्हें देखू,
सपनों में खो जाऊं......