राधा कर रही सोच विचार,
तुलसा क्यों घर लाए श्याम,
महीना आया कार्तिक मास,
तुलसा क्यों घर लाए श्याम....
जो मैं होती काली कलूटी,
तो तुलसा श्याम अमन बंसती,
मेरा देवी जैसा रूप तुलसा क्यों घर लाए श्याम,
राधा कर रही सोच विचार.....
जो मैं होती अंधी धुंधी,
तो तुलसा श्यामा मन बस्ती,
मेरे मृगनैनी से नैन तुलसा क्यों घर लाए श्याम,
राधा कर रही सोच विचार.....
जो मैं होती गूंगी बहरी,
तो तुलसा श्याम मन बस्ती,
मेरे कोयल जैसी बोल तुलसा क्यों घर लाए श्याम,
राधाकर रही सोच विचार.....
जो मैं होती पतली दुबली,
तो तुलसा श्याम मन बस्ती,
मैं तो लई तराजू तोल तुलसा क्यों घर लाए श्याम,
राधा कर रही सोच विचार.....
जो मैं होती लंगड़ी लूली,
तो तुलसा श्याम मन बस्ती,
मेरी हिरनी जैसी चाल तुलसा क्यों घर लाए श्याम,
राधा कर रही सोच विचार.....
तेरी मेरी प्रीत पुरानी,
क्यों राधा मन में घबराती,
ये है जाने जग संसार राधा मत करो सोच विचार,
राधा कर रही सोच विचार.....
तुलसा हमको भोग में प्यारी,
पूजा करें सदा नर नारी,
तुलसा कार्तिक में भई नार राधा मत कर सोच विचार,
राधा कर रही सोच विचार.....