मूरतिमान सिंगार सहचरी

मूरतिमान सिंगार सहचरी ।
सजि लाई आरति सिंगार की ।।
आनि दई कर अग्रवर्ति के ।
अद्भुत रीति उतारति वारति ।।
कहा कहो शोभा कनक थार की ।
निरखि सुछवि विविवर उदार की ।।
श्रीहरिप्रिया पुलक अंग अंग में ।
बाढ़ी उर उमगन बिहार की ।।
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