हे रघुनंद दशरथ नंदन गाऊँ भजन तेरा करके मैं वंदन,
जय जय श्री सीता राम,
जय जय श्री सीता राम,
तन मन है अर्पण देदो ना दर्शन देर ना कर प्रभु तेरा हु दर्पण,
जय जय श्री सीता राम......
कौशल्या के आंख के तारे ककई के तुम राज दुलारे,
सुमित्रा के प्राण के प्यारे तीनो माँ के तुम हो सहारे,
रामा रामा रामा रामा रामा रामा,
सिया पति सुन लो मुझको भी वर दो,
अपने चरण में थोड़ी जगह दो,
जय जय श्री सीता राम.....
तूने अहलिया को है तारा सबर का पैर खाके उबारा,
अभिमानी बाली को मारा,
संकट में रहे न भक्त तुम्हारा,
मेरा कर्म हो मेरा धर्म हो,
तेरे शरण प्रभु मेरा जीवन हो,
जय जय श्री सीता राम……