रघुवर झूल रहे अपनी उमंग में,
सिया जी के संग में ना।
बादल छाए घनघोर, बिजली चमके चहुं ओर,
मोर नाच रहे अपनी तरंग में, सिया जी के संग में ना,
रघुवर झूल रहे अपनी उमंग में,
सिया जी के संग में ना।
सारे अवध के नर नार, गावे कजरी मल्हार,
ढोलक बाज रही अपने ही रंग में, सिया जी के संग में ना,
रघुवर झूल रहे अपनी उमंग में,
सिया जी के संग में ना।
देखो सरयू के तीर, झूले सिया रघुवीर,
बहे पूर्वी बयार, लागे अंग में, सिया जी के संग में ना,
रघुवर झूल रहे अपनी उमंग में,
सिया जी के संग में ना।