कालो कि काल महाकाली कलकत्ते वाली,
चली है बहनों मंदिरों से,
मंदिरों से बहनों मंदिरों से,
कालो कि काल महाकाली कलकत्ते वाली,
चली है बहनों में मंदिरों से.....
एक हाथ में खप्पर विराजे,
माँ के सिर पे मुकुट विराजे,
बड़ी सूरत डराने वाली कलकत्ते वाली,
चली है बहनों मंदिरों से.....
माँ के गले में मुंडो कि माला,
माँ का रूप है बड़ा विकराला,
माँ के होठो पे खून कि लाली कलकत्ते वाली,
चली है बहनों मंदिरों से.....
माँ के डरती है भूतो कि टोली,
माँ भर देंगी भक्तो कि झोली,
सब भक्त बजाओ ताली कलकत्ते वाली,
चली है बहनों मंदिरों से.....
मैया भक्तो के घर पे आयी,
माँ ने सब कि है बिगड़ी है बनायीं,
माँ भक्ति के गुलशन कि वाली कलकत्ते वाली,
चली है बहनों मंदिरों से.....