देवो में सबसे अलबेला काम मुर्लियावाले का,
हर एक ज़ुबाँ पर रहता है, बस नाम मुर्लियावाले का.....
ना जाने पल भर में प्यारे, क्या से क्या वो कर डाले,
मान कर तू रूप का रे वो पल रूप बदल डाले,
छोड़ दे गोरख धंधो को, ले नाम मुर्लियावाले का.....
वो छुपकर बैठा प्यारे, पर्दा नील गगन का डाले,
रहमत बरसाता है निशदिन, वो खोले किस्मत के ताले,
तू छोड़ दे दर दर पे जाना दर थाम मुर्लियावाले का.....
पर्वत को राई कर दे वो, राई को पर्वत कर डाले,
राजा को रंक बनादे वो, रंक को राजा कर डाले,
कब किसका पलट दे तजो तख़्त, है काम मुर्लियावाले का.....
बस काम किये जाओ प्यारे, पर फल की इच्छा मत करना,
तुम भला किसी का कर ना सको, तो बुरा किसी का मत करना,
घर घर मे पहुंचा दो राजेन्द्र, बस नाम मुर्लियावाले का.....
गीतकार/गायक-राजेन्द्र प्रसाद सोनी