आन वसो नंदलाल, मेरे सूने मंदिर में ll
छाया जिस में, घोर अँधेरा l
तुम आओ तो, होवे उजियारा l
तुम बिन, है सुनसान, मेरे सुने मंदिर में,,,
आन वसो नंदलाल,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
घण्टे और, घड़ियाल नहीं है l
सामग्री का, थाल नहीं है l
मोह माया, का है जाल, मेरे सुने मंदिर में,,,
आन वसो नंदलाल,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मेरा मन, दर्वेश नहीं है l
बगुले जैसा, भेस नहीं है l
प्रेम का है, यह हाल, मेरे सुने मंदिर में,,,
आन वसो नंदलाल,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
कान्हा मेरे, मंदिर आना l
मेरे हाथों, भोग लगाना l
आना, हो के दयाल, मेरे सुने मंदिर में,,,
आन वसो नंदलाल,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
अपलोडर- अनिलरामूर्तिभोपाल