उठ कर ले भजन भगवान का, तेरे जीवन का तो यही सार है,
बिना बंदगी भजन भगवान के, तेरा जीवन यूं ही बेकार है,
उठ कर ले भजन भगवान का....
जन्म मिला तुझे अनमोल हीरा, माटी में क्यों खो दिया,
जिस मार्ग से जाना तुझे था, उसी में काँटों को बो दिया,
यह न जाना कि झूठा संसार है, और झूठी यह मौज बहार है,
यह दुनियां तो मेला चंद रोज़ का, आखिर तो यहां अंधकार है
उठ कर ले भजन भगवान का…
इस दुनियां की मोह ममता में, तूने प्रभु को भुला दिया,
विषय विकारों बद कर्मों में, जीवन सारा लुटा दिया,
जिस नईया में तूँ सवार है, व्ही नईया तेरी मंझधार है,
बिना भजन धर्म पतवार के, कभी होगा न बेडा पार है,
उठ कर ले भजन भगवान का…
भूखा मरे कोई प्यासा मरे पर, तुझको किसी की फ़िक्र नहीं,
सत्य अहिंसा दया धर्म का, तेरी ज़ुबान पर ज़िक्र नहीं,
सारी बीती उम्र यूं ही झूठ में, बेईमानी से किया व्यपार है,
जरा मन में तूँ अपने सोच ले, तूने कौन सा किया उपकार है,
उठ कर ले भजन भगवान का…
पाप करो चाहे करो भलाई, ऐसा कभी नहीं हो सकता,
औरों को दुःख देगा तो खुद भी, सुख से कभी नहीं सो सकता
जैसा बोएगा वैसा काट ले, यही कर्मो का खुला बज़ार है,
जिन्न कर्मों के जीते जीत है,उन कर्मों के हारे हार है,
उठ कर ले भजन भगवान का…
दुनियां में रहकर जीते जो मन को, वो प्राणी सभसे बलवान है,
छोड़ दे तूँ बदीओं को नाहक, इसमें तेरा कलियाण है,
भव सागर से भी तर जाएगा, गर तेरा पर्भू से सच्चा प्यार है,
जो भक्ति की आँखों से देखता, उसे प्रीतम का होवे दीदार है
उठ कर ले भजन भगवान का…