दोहा-आया सो जाएगा,
राजा रंक फकीर l
कोई सिंघासन चढ़ चले,
कोई बंधे ज़ंजीर ll
क्या लेके आया बन्दे,
क्या लेके जायेगा,
दो दिन की जिन्दगी है,
दो दिन का मेला॥
इस जगत सराऐ में,
मुसाफ़िर, रहना दो दिन का ll
क्यों विर्था करे, गुमान,
मूर्ख इस, धन और योबन का ll
नहीं है भरोसा पल का ll,
यूँ ही मर जाएगा,
दो दिन की जिन्दगी है,
दो दिन का मेला,
क्या लेके आया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
तूँ छोड़ सके ना, बंदे माया,
गिणी गिणाई ने ll
गड्ड कोठा की, नींव छोड जा,
चिणी चिणाई ने ll
मिणी तो मिनाई ll बन्दा,
यही छोड़ जायेगा,
दो दिन की जिन्दगी है,
दो दिन का मेला,
क्या लेके आया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
वो कहाँ गऐ बलवान,
तीन वार, धरती तोलणियाँ ll
जिनकी पड़ती धाक,
नहीं कोई, शामी बोलणियाँ ll
निर्भय हो के डोलणियाँ,
ठेर नहीं पाएगा,
दो दिन की जिन्दगी है,
दो दिन का मेला,
क्या लेके आया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
तेरी काया का है भाग,
भाग्य बिन पाया नहीं जाता ll
कहे शर्मा कर्मा बिना नसीब,
तोड़ फल खाया नई जाता ll
गया नहीं जाता कैसे,
हरि गुण गाएगा,
दो दिन की जिन्दगी है,
दो दिन का मेला,
क्या लेके आया,,,,,,,,,,,,,,,,
अपलोडर- अनिलरामूर्तिभोपाल