मैया पर्वत से चाल पड़ी

मेरी लग गई बैरन आंख आंख मैया पर्वत से चाल पड़ी,
मैया पर्वत से चल पड़ी मैया घुम्मन को निकल पड़ी,
मेरी लग गई बैरन आंख......

जब मैया बागा बीच आई कलियों ने खुशबू फैलाई,
मालिनी की खुल गई आंख दर्शन दे मैया निकल गई,
मेरी लग गई बैरन आंख......

जब मैया तालों विच आई चुनरी लहर लहर लहराई,
धोबिन की खुल गई आंख दर्शन दे मैया निकल गई,
मेरी लग गई बैरन आंख.....

जब मैया कुओं पे आई गगरी छल छल छलकत आई,
भीमरिन की खुल गई आंख दर्शन दे मैया निकल गई,
मेरी लग गई बैरन आंख.....

जब मैया महलों मैं आई घर में चौकी देख हर साई,
रानी की खुल गई आंख गोदी में लाल खिलाई गई,
मेरी लग गई बैरन आंख.....

जब मैया मंदिर विच आई छम छम पायल बजती आई,
पंडित की खुल गई आंख दर्शन दे मैया निकल गई,
मेरी लग गई बैरन आंख.....

जब मैया कीर्तन मैं आई डम डम ढोलक बजती आई,
भक्तों की खुल गई आंख दर्शन दे मैया निकल गई,
मेरी लग गई बैरन आंख......

जब मैया भंडारे में आई हलवा पूरी बनती पाई,
वह तो भोग लगा गई आज दर्शन दे मैया निकल गई,
मेरी लग गई बैरन आंख.....
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