लिख भेजी पतिया आज रुक्मणि अर्ज करे

लिख भेजी पतिया आज रुक्मणि अर्ज करे,  
कान्हा ले जाओ आकर आज रुक्मणि याद करे,
लिख भेजी पतिया आज...

मेरे बाबुल ने एक ना मानी भैया मेरो करे मनमानी,
शिशुपाल संग करे मेरो ब्याह रुक्मणि अर्ज क,रे  
कान्हा ले जाओ आकर आज रुक्मणि याद करे....  

ये पतिया असुअन से लिख रही भेद जिया के सारे कह रही,
नहीं करो देर अब श्याम रुक्मणि अर्ज करे,
कान्हा ले जाओ आकर आज रुक्मणि याद करे.....

जब से देखि तेरी सूरत मन में बसा लेइ तेरी मूरत,
बस श्याम मेरे भरतार रुक्मणि अर्ज करे,
कान्हा ले जाओ आकर आज रुक्मणि याद करे.....  

पतिया पढ़ के जल्दी अइयो पकड़ हाथ मोहे लेके जइयो,
मैं देखु तेरी बाट रुक्मणि अर्ज करे,
कान्हा ले जाओ आकर आज रुक्मणि याद करे.....  

मेरे श्याम तुम्हे वही मिलूंगी कर सोलह शृंगार चलूंगी,
मैं पुजू गोरी माय रुक्मणि अर्ज करे,
कान्हा ले जाओ आकर आज रुक्मणि याद करे......  
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