मैं तो कुर्बान हुई श्याम की अदाओ पे

मैं तो कुर्बान हुई श्याम की अदाओ पे,
काली काली आँखों की तिर्शी निगहाओं पे

मिली है श्याम से नजरे जिस दिन से,
मुझे तो हो गई दिल की बिमारी उस दिन से,
अब तो दिन रात मुझे उसकी याद आती है,
सुरतियाँ श्याम की नजरो से हट न पाती है,
मोर का पंख सोहे शीश पे निराला है,
गले में चांदी सी चमके वैजन्ती माला है,
मैं तो कुर्बान हुई श्याम की अदाओ पे,
काली काली आँखों की तिर्शी निगहाओं पे

उस के मुखड़े से मेरी नजर नहीं हट ती है,
देखो कितना भी मगर प्यास नहीं बुझती है,
उलझ के फस गया दिल मेरा इस की मूरत में,
जोगणिया हो गई मैं सँवारे की चाहत  में
कटीले नैन है कजरारे मेरे कान्हा के छटा से केश घुंगराले काले कान्हा के,
मैं तो कुर्बान हुई श्याम की अदाओ पे,
काली काली आँखों की तिर्शी निगहाओं पे

कमर पे कोंधनी पैजनिया सोहे पाओ में,
फूलो के बाजू बंध सोहे दोनों बाहो पे
बंदन का रंग है नीला चमक है मडियो सी
उस के हर अंग में आती है महक कलियों के,
छवि को देख दिल आ गया नाड़ी का
रीना चन्दन को हो गया नशा बिहारी का,
मैं तो कुर्बान हुई श्याम की अदाओ पे,
काली काली आँखों की तिर्शी निगहाओं पे
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