मुँह फेर जिधर देखूं, माँ तू ही नज़र आये...
गैरों ने तो ठुकराया, अपने भी बदल गए हैं,
हम साथ चले जिनके, वो दूर निकल गए हैं,
तेरे रहें पे हूँ, तू बक्शे या ठुकराए, माँ तू ही नज़र आये……..
माना के में पापी हूँ, तुझे खबर गुनाहों की,
बस इतनी सज़ा देना मुझे मेरी खताओं की,
तेरे दर पे हो सर मेरा, और सांस निकल जाए,
मुँह फेर जिधर देखूं…….
हम ख़ाक नशीनो की, क्या खूब तमन्ना है,
तेरे नाम से जीना है, तेरे नाम से मरना है,
मरना तो है वो तेरी, चौखट पे जो मर जाए,
मुँह फेर जिधर देखूं…….
सूरज और चनदा का, आँखों में उजाला है,
मस्तक में अग्नि की प्रचंड ज्वाला है,
तेरी नज़रें करम हो तो, तेरे भक्त भी तर जाएं,
मुँह फेर जिधर देखूं……