जोगी का भेष बनाया घनश्याम बृज में आया....
बगल दवा लिए पतरा पोथी,
पीली पीली बांधी धोती,
माथे पर तिलक लगाया, घनश्याम बृज में आया....
बरसाने में पहुंचा जाई,
जाकर वहां आवाज लगाई,
काशी का पढ़ा पढ़ाया, घनश्याम बृज में आया.....
इतने में वहां रुक्का पड़ गया,
सारी बात बताने जोगी आया,
जिस जिसने हाथ दिखाया, घनश्याम बृज में आया.....
राधा की मां पूछन लागी,
क्यों मेरी राधा सुकन लागी,
इसका चेहरा क्यों मुरझाया, घनश्याम बृज में आया.....
मुश्किल बचनी तेरी राधा,
इस पर चढ़ा सनीचर आधा,
इस पर चढ़ी ऊपरी छाया, घनश्याम बृज में आया.....
कमली दान करो तुम सारी,
काली बंसी पर बिपता भारी,
छलिया ने छल दिखलाया, घनश्याम बृज में आया.....
कृष्ण ने बांसुरी बजाई,
सारी गोपियां दौड़ी आई,
छलिया मां को चल लाया, घनश्याम बृज में आया.....