मोरी टेर सुनो ब्रज के वासी,
ओ गोवर्धन गिरधारी।।
आये हैं हम तेरे द्वारे,
टेर सुनो यशोदा के प्यारे,
चल न कंटक पथ पर,
चलते चलते ये पग हारे,
विनय सुनो मोरी बनवारी,
गोवर्धन गिरधारी,
मोरी टेर सुनो ब्रज के वासी,
ओ गोवर्धन गिरधारी।।
अश्रुधार सींच रहा हूँ ,
है गिरधारी चरण तुम्हारे,
कौन खबर ले तुम बिन मोरी,
कौन हमारी विपदा टारे,
है करुनाकर जग हितकारी।
गोवर्धन गिरधारी,
मोरी टेर सुनो ब्रज के वासी,
ओ गोवर्धन गिरधारी।।
भक्ति भाव की माला है बस,
और नहीं कुछ पास हमारे,
तुमसा डेटा छोड़ के है हरि,
किसके जाऊं पाव पखारे,
राजेन्द्र तुम है बलिहारी,
गोवर्धन गिरधारी,
मोरी टेर सुनो ब्रज के वासी,
ओ गोवर्धन गिरधारी।।