घनश्याम तुझे ढूंढने जाएं कहाँ कहाँ ,
अपने विरह की याद दिलाएं कहाँ कहाँ .
तेरे नजर में जुल्फ में मुस्कान मधुर में ,
उलझन है सबमें दिल तो छुड़ाए कहाँ कहाँ ,
घनश्याम तुझे ........
चरणों की खाक सारों में खुद खाक बन गए,
अब खाक पे हम खाक रमाये कहाँ कहाँ ,
घनश्याम तुझे........
जिनकी तमीज देख के खुद बन गए मरीज,
ऐसे मरीज मर्ज दिखाए कहाँ कहाँ ,
घनश्याम तुझे.......
दिन रात अश्रु बिंदु बरसते तो हैं मगर ,
सब तन में लगी आग बुझाए कहाँ कहाँ ,
घनश्याम तुझे ढूंढने जाएं कहाँ कहाँ ,