तांडव करते शिव भडांरी ॥
धरती कांपे अबंर कांपे ॥
कांपे ऋिषटी सारी
तांडव करते.................
दकष परजापती जगन राचाया
सब देवो को उसने बुलाया ॥
महादेव को दिल से भुलाया ॥
भुल कर बैठा भारी
तांडव करते़.......................
अागे की फिर सुनो कहानी
हठ कर बैठी मात भवानी ॥
शिव भोले की एक ना मानी ॥
जाने की कर ली तयारी
ताडव करते़.....................
सती ने खुद को कुड मे जलाया
शिव गणो ने उधम मचाया॥
सभा मे सबको मार मुकाया ॥
काटे वारो बारी
ताडव करते़...............
तीसरा नेंतर शिव ने खोला
धरती अंबर सब कुछ डोला ॥
बिटटु सितारा मुख से बोला ॥
बखशो बखषन हारी
ताडव करते़...................
लेखक-अशवनी सितारा
गायक- विपन शरमा बिटटु
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