प्रभु के सामने सर को झुकाओ काफी है,
धूप चंदन न सही मन मे भाव काफी है....
नाना व्यंजन से नहीं रीझते है गिरधारी,
उन्हें तो प्रेम का चावल ही आधा काफी है,
प्रभु के सामने सर को झुकाओ काफी है.....
भाव के भूखे हैं और कोई उन्हें क्या देगा,
मन मे हो प्रेम तो छिलकों का भोग काफी है,
प्रभु के सामने सर को झुकाओ काफी है.....
लाख उनको बुलाओ भो कभी न आएंगे,
पूर्ण श्रद्धा से सिर्फ आधा नाम काफी है,
प्रभु के सामने सर को झुकाओ काफी है.....