बरस दिन में आयो गोरी होरी आज मनाये ली जी,
फागुन के दिन चार सखी तू रसिया से बतलाये दे री,
बरस दिन में आयो गोरी होरी आज मनाये ली जी,
हम है रसियां तू गोरी भले आज मिली है जोरि,
सुन ले ग्वालियन मद माती खेले गे तुम संग होली,
यह अवसर होली को गोरी चुनार आज रंगा ले जी,
फागुन के दिन चार सखी तू रसिया से बतलाये दे री,
क्यों लाज करे तू गोरी लगवा ले मुख पे रोली,
जो सुदी न बतलावे तो श्याम करे जर जोरि,
ऐसा अवसर फिर न मिलेगा मन अपना समजा लियो जी,
फागुन के दिन चार सखी तू रसिया से बतलाये दे री,
सुन ले तू नार नवेली बैठी है भवन अकेली,
रसियां बिन यु ही जाए तेरा जोबन ये अलबेली,
रोज रोज रसिया ना आवे है के कंठ लगा ले री,
फागुन के दिन चार सखी तू रसिया से बतलाये दे री,