कंकरिया मत न मारे ओ नन्द के लाला,
क्यों न मटकी को तारे ओ ब्रिज की बाला,
मत बेशर्मी ओड कन्हियाँ रस्तो मेरो छोड़ कन्हियाँ,
पडू पहियाँ तुम्हारे ओ नन्द के लाला
कंकरिया मत न मारे ओ नन्द के लाला,
क्यों न मटकी को तारे ओ ब्रिज की बाला,
रस्ता तेरा तकु घोर से
भूख लगी है बड़े जोर से भूख से काहे मारे
ओ ब्रिज की बाला
क्यों न मटकी को तारे ओ ब्रिज की बाला,
कंकरिया मत न मारे ओ नन्द के लाला,
फूटे मटकी दही फैले गो
घर को खर्चो कैसे चलेगो
होंगे मुस्किल गुजारे
कंकरिया मत न मारे ओ नन्द के लाला,
क्यों न मटकी को तारे ओ ब्रिज की बाला,
माखन दे क्यों करे आभारी
केहता साँची बात अनाडी,
मत न सोचे विचारे
क्यों न मटकी को तारे ओ ब्रिज की बाला,
कंकरिया मत न मारे ओ नन्द के लाला,