जय जय राजा राम की जय लक्ष्मण बलवान,
जय कपीस सुग्रीव की जय अंगद हनुमान ॥
जय जय काग भुसुण्डि की जै गिरि उमा महेश,
जय ऋषि भारद्वाज की जै तुलसी अवधेश ॥
प्रभु सन कहियो दण्डवत तुमहिं कहौ कर जोर,
बार-बार रघुनाय कहिं सुरति करावहुँ मोर ॥
कामहि नारि पियार जिमि लोभहि प्रिय जिमि दाम,
तिमि रघुनाथ निरंतर प्रिय लागहँ मोहि राम ॥
बार-बार वर मांगहँ हर्ष देहु श्री रंग,
पद सरोज अन पायनी भक्ति सदा सत संग ॥
प्रणत पाल रघुवंश मणि करुणा सिंध खरारि,
गये शरण प्रभु राखिहैं सब अपराध बिसार ॥
कथा विसर्जन होत है सुनो वीर हनुमान,
जो जन जह से आये हैं, ते तः करो पयान।
श्रोता सब आश्रम गए, शम्भू गए कैलाश।
रामायण मम ह्रदय मह, सदा करहु तुम वास।
रामायण जसु पावन, गावहिं सुनहिं जे लोग।
राम भगति दृढ़ पावहिं, बिन विराग जपयोग।
रामायण बैकुण्ठ गई सुर गये निज-निज धाम ।
राम चंद्र के पद कमल बंदि गये हनुमान ॥
सियावर रामचंद्र की जय