भला सभी का करते बाला, प्यार सभी को करते हैं,
श्रद्धा से जो पुष्प चढ़ाये, झोली उसकी भरते हैं ।
साँचा है दरबार तुम्हारा, बालाजी करतार तुम्हीं,
कलयुग में दुःख के मारों का, करते हो उद्धार तुम्हीं,
चरणों में जो शीश नवाता, संकट उसके कटते हैं।
श्रद्धा से जो पुष्प चढ़ाये, झोली उसकी भरते हैं ।
बालाजी के अंगसँग देखो, प्रेतराज और कप्ताना,
दर्शन करलो, सुमिरन करलो, मुक्ति का फिर फल पाना,
घाटे में जब मेले लगते, ढोल नगाड़े बजते हैं।
श्रद्धा से जो पुष्प चढ़ाये, झोली उसकी भरते हैं ।
कांधे मूँज जनेऊ साजे, हाथ में गदा विराजे है,
कंठ में पुष्प की माल है शोभित, छवि अद्भुत सी साजे है,
भूत प्रेत फिर निकट न आवें, बाला नाम जो रटते हैं।
श्रद्धा से जो पुष्प चढ़ाये, झोली उसकी भरते हैं ।
शिव अवतारी केसरी नन्दन, असुर निकन्दन बाला जी,
संकट मोचन कष्ट विमोचन, भव भय भंजन बाला जी,
चोले का जो तिलक लगाते, भवसागर से तरते हैं।
श्रद्धा से जो पुष्प चढ़ाये, झोली उसकी भरते हैं ।
भला सभी का करते बाला, प्यार सभी को करते हैं,
श्रद्धा से जो पुष्प चढ़ाये, झोली उसकी भरते हैं ।
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भजन रचना : राज कुमार टाँक, बुखारा, बिजनौर ।