तरज़-:इक प्यार का नगमा है
शामा जू सुनतीं है, दुखियों की कहानीं को,
जल्दी चल बरसानें, इन्तज़ार वो करती है,
शामा जू सुनतीं है...
विश्वास तूं कर लेना, शामा की किरपा पे,
दुखड़े वो हर लेगी, सारे तेरे पलभर में,
खुशियों का समन्दंर है, करूणां का खज़ांना है,
जल्दी चल बरसानें, इन्तज़ार वो करती है,
शामा जू सुनतीं है...
रसिको कहना है, सन्तों की वाणीं है,
पागल नें किशोरी की, महिमा बख़ानीं है,
आ चल चलें बरसानें, प्यारी का प्यार पानें,
जल्दी चल बरसानें, इन्तज़ार वो करती है,
शामा जू सुनतीं है...
धसका पागल भी वहां, जाता है सर झुकानें,
तक़दीर बदलती है, उस दर पे जानें से,
बृज़रज के कणं कणं में, करूंणा बरसती है,
जल्दी चल बरसानें, इन्तज़ार वो करती है,
शामा जू सुनतीं है...
लेखक-: बाबा धसका पागल जी