देशड़लो रंग रूड़ो राणा जी थारो देशड़लो रंग रूड़ो
कोनी पेरूली थारो चूड़ो रे राणा जी थारो देशड़लो रंग रूड़ो
थारे देशां में राणा साधु नहीं थे
लोग बसे सब कूड़ो नहीं भावे राणा देशड़लो रंग रूड़ो
काजळ टीकी राणा म्हें सब कुछ छोड्रया
छोड्यो माथे वालो जूडो रे राणा नहीं पेरूली थारो चूड़ो
देशड़लो रंग …..
मेवा मिसरी राणा सब कुछ छोड्या
छोड़यो शक्कर ने गुड़ो रे राणा जी थारे देशड़लो रंग रूड़ो
देशड़लो रंग …..
तन की आस राणा कबहुं न कीनी,
ज्यूं रण माँहि शूरो रे राणा जी थारो देशड़लो रंगरूड़ो,
देशड़लो रंग
बाई मीरां केवे प्रभुजी गिरधर नागर,
वर पायो मैं पूरो पूरो रे राणाजी थारो देशड़लो रंगरूड़ो
देशड़लो रंग …..