होली खेलण ने नंदलाल बना म्हारे महल पधारो जी ।
महल पधारो, म्हारे महल पधारो, महल पधारो सांवरिया ॥
म्हारे महल पधारो जी...
केसर रंग सूं भर भर गगरी ।
ठाड़ी ग्वालन सिर धर सगरी ।
नवल नागरी उमंग भरी, म्हारे महल पधारो जी ॥
होली खेलण ने...
अबिर गुलाल से भर भर झोरी ।
बाट निहार रही सब गोरी ।
मैं अरज करूँ कर बरजोरी, म्हारे महल पधारो जी ॥
होली खेलण ने...
तिरछी चितवन से मत झांको ।
नवल नार को जोबन बांको ।
थे,मारग में मत चाखो जी, म्हारे महल पधारो जी ॥
होली खेलण ने...
मोर मुकुट पीताम्बर धारी ।
श्याम "सुधाकर" कृष्ण मुरारी ।
थांकी बांसुरी कामणगारी जी, म्हारे महल पधारो जी ॥
होली खेलण ने...