बरसाना बसा लो किशोरी, जगत में जी ना लगे,
मुझे अपना बना लो किशोरी, जगत में जी ना लगे,
बरसाना बसा लो किशोरी....
फंस गया मैं तो जगत जंजाल में, तेरे सिवा कौंन मेरा इस ससांर में,
इस फंद से अब तूं छुड़ाना, जगत में जी ना लगे,
बरसाना बसा लो किशोरी....
पागल मन की बस एक ही तम्मनां है,
धसका को तेरे, चरणों में अब रहना है,
पुरी करना ये अर्ज़ी मेरी, जगत में जी ना लगे,
बरसाना बसा लो किशोरी....
रचनां-: बाबा धसका पागल