शाम सवेरे जपले बंदे एक माला हरि नाम की

शाम सवेरे जपले बंदे एक माला हरी नाम की,
सीताजी के राम की राधाजी के श्याम की,
शाम सवेरे जपले बंदे एक माला हरी नाम की....

एक माला श्रीमात जानकी से हनुमान ने पाई,
तोड़ तोड़ के हनुमान ने धरती पर बिखराई,
जिस माला में राम नहीं वो माला किस काम की,
सीताजी के राम की राधाजी के श्याम की....

माता ने पूछा हनुमत से माला को क्यों तोड़ा,
बोले हनुमत मैया नाता राम संग है जोड़ा,
मेरे मन मंदिर के अंदर बैठे सीताराम जी,
सीताजी के राम की राधाजी के श्याम की

एक माला  को  श्याम गले में  मीरा ने डाला,
जोगन बनके पी गई वो विष का प्याला,
छोड़के महल चौबारे दासी बनगई श्याम की,
सीताजी के राम की राधाजी के श्याम की
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