चल घरे माई के दर्शन कइके,
झूठे बइठल बाड़ू एके ज़िद धइके,
बाटे रऊवा से एतने निहोरा बलम,
बबुआ के धलिही कोरा बलम,
जगराता में नाचे दी थोड़ा बलम....
पापा भइया सभे एहिज़ा खाड़ा बा हो,
काहे बुझत नइखु प्रॉब्लम इ त बाड़ा बा हो,
का बताई कि केतना सुकून मिलेला,
माई के भजन प नचला से पुन मिलेला,
जनी चिंता करी एतना मोरा बलम,
बबुआ के धलिही....
तू त घर में घुस जइबु चुप चप जाइके,
मनबु का हमरा के माई से डाँट खियाईके,
यादवराज समर आइ रऊवो नाची,
जनी सोची की कहिये का ममी चाची,
हमरा ख़ुशी में बनी ना रोड़ा बलम,
बबुआ के धलिही....