दरबार में चल के आई हु
आई हु मेरी माँ तेरे लिए
इक बार तो माँ दर्शन देदे,
मर जाउंगी मैया तेरे लिए
दरबार में चल के आई हु
है तीन लोक से भी बड कर पावन है माँ तेरे ये चरण
तू जगजननी तू महा माया मैं दासी तू माँ तेरे लिए
दरबार में चल के आई हु
मुझको तेरे दर से मतलब है
दर तेरा सभी से बड कर है,
तन मन को निशावर कर दूंगी
माँ इक तेरे दर्शन के लिए
दरबार में चल के आई हु
क्या मेरी भगती कुछ कम है
कया मेरी पूजा मे है कमी,
ओ मेरी माँ कुछ तो कह रे,
हाजिर है मेरा सिर तेरे लिए
दरबार में चल के आई हु
प्रिया का बहुत है ख्याल तुझे
इतना तो है माँ विश्वाश मुझे
आ देख जरा नीरज तेरा,
लिखता है भजन माँ तेरे लिए
दरबार में चल के आई हु