जागरण की रात मियाँ, रात भर जगाई है॥
अभी भी ना आई रानी सवेर होने अई है॥
जागरण की रात मियाँ.....
मन मैं और कुछ भी नही दर्शन की प्यास है॥
आखे पथरा गई है, चेहरा उदास है॥
लोटा तेरे दर से मियाँ कोई ना सवाली है
अभी भी ना आई रानी.....
जब से लगे ये तेरे नैना माँ तेरे दरबार से॥
डोल जाइये यह सिंगासन मेरी पुकार से,॥
हाथ मेरे कुछ भी नही पूजा की थाली है
अभी भी ना आई रानी........